हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अहल बैत अलैहिस्सलाम रहमत-ए-इलाही के झलक और निराश लोगों की उम्मीद हैं। इन में से एक हस्ती हैं, हज़रत फातिमा मासूमा सल्लल्लाहु अलैहि वआलिहि वसल्लम जिनका पाक मुकाम क़ुम अलमुकद्दस में हर जरूरतमंद के लिए सुकून और शिफाअत का केन्द्र है।
आयातुल्लाह मरशी नजफी ने सुनाया कि जब वे नजफ अशरफ़ से क़ुम आए तो वह बहुत गरीबी में थे और एक किराए के छोटे से मकान में रहते थे। मकान की मालकिन सख्त और बदमिजाज थी, जो छोटी-छोटी बातों पर उनकी पत्नी से झगड़ा करती रहती थी।
एक दिन इस झगड़े से दिल टूटकर आयातुल्लाह मरशी नजफी हज़रत मासूमा (स.ल.) के हरम में पहुंचे और रोते हुए फरयाद की,बेबी जान! मैं आपका मेहमान हूँ और आपके दर से पनाह मांगता हूँ। खुदा से दुआ करें कि मुझे किराए की तंगी से निजात मिले।
कुछ दिनों बाद उनके चाचा की तरफ़ से एक ख़त आया, जिसमें लिखा था कि उन्होंने नज़र रखी है कि अगर उनकी जरूरत पूरी हुई तो क़ुम के एक बेघर विद्यार्थी के लिए मकान खरीदा जाएगा। चूंकि आयातुल्लाह मरशी नजफी के पास अपना मकान नहीं था, इसलिए उन्हें 600 तूमान भेजे गए ताकि वे क़ुम में मकान खरीद सकें।
इस तरह हज़रत फातिमा मासूमा (स.ल.) की करामत और शिफरत की बदौलत आयातुल्लाह मरशी नजफी और उनके परिवार ने किराए की जिंदगी और कठिनाइयों से निजात पाई।
यह कहानी हौज़ा के छात्रों और इमानी लोगों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है कि सच्चे इमान और भक्ति से मुश्किल हालात भी आसान हो सकते हैं।
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